डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: डिजिटल युग की सबसे बड़ी चुनौती। Data privacy and security: The biggest challenge of the digital age.

डिजिटलाइजेशन के इस दौर में डेटा गोपनीयता (Data Privacy) और सुरक्षा (Security) दुनिया भर में चिंता का प्रमुख विषय बन गया है। सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स, बैंकिंग, और सरकारी सेवाओं तक—हर जगह उपयोगकर्ताओं का व्यक्तिगत डेटा एकत्र किया जा रहा है। लेकिन इस डेटा का दुरुपयोग, हैकिंग, या लीक होना आम हो चुका है। भारत समेत कई देशों ने इस समस्या से निपटने के लिए कानून बनाए हैं, लेकिन साइबर अपराधों की बढ़ती सूझबूझ के सामने डेटा सुरक्षा अभी भी एक बड़ी चुनौती है।


डेटा गोपनीयता: वर्तमान संदर्भ और चिंताएँ

आज हर व्यक्ति प्रतिदिन औसतन 2.5 लाख GB डेटा उत्पन्न करता है। इस डेटा में उसकी निजी जानकारी, लोकेशन, खरीदारी की आदतें, और यहाँ तक कि बायोमेट्रिक विवरण भी शामिल होते हैं। साइबर हमलों में 2023 में 68% की वृद्धि हुई है, जिसमें रैंसमवेयर, फ़िशिंग, और डेटा ब्रीच प्रमुख हैं। उदाहरण के लिए, 2023 में एक प्रमुख भारतीय अस्पताल के 9 लाख मरीजों का डेटा लीक हुआ, जिसमें मेडिकल रिकॉर्ड्स और आधार नंबर शामिल थे।

भारत में आधार डेटा लीक के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। 2022 में, पंजाब नेशनल बैंक के 18 करोड़ ग्राहकों का डेटा डार्क वेब पर बिकने की खबर ने सुरक्षा प्रणालियों पर सवाल खड़े किए। यही नहीं, UIDAI के अनुसार, 2023 में 50,000 से अधिक आधार नंबरों का गलत उपयोग पकड़ा गया।


वैश्विक स्तर पर डेटा संरक्षण के प्रयास

यूरोपीय संघ (EU) का GDPR (General Data Protection Regulation) डेटा गोपनीयता के क्षेत्र में एक मिसाल है। यह कानून कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाता है और उपयोगकर्ताओं को अपने डेटा पर पूरा नियंत्रण देता है। इसी तरह, अमेरिका में कैलिफ़ोर्निया कंज्यूमर प्राइवेसी एक्ट (CCPA) लागू है, जो डेटा कलेक्शन की पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।

चीन ने 2021 में पर्सनल इनफॉर्मेशन प्रोटेक्शन लॉ (PIPL) पेश किया, जो GDPR जैसा ही सख्त है। इन वैश्विक पहलों से स्पष्ट है कि डेटा गोपनीयता अब एक मानवाधिकार के रूप में देखी जा रही है।


भारत में डेटा सुरक्षा की स्थिति

भारत में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट 2023 डेटा गोपनीयता के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। इस कानून के तहत:

  1. कंपनियाँ उपयोगकर्ता की सहमति के बिना उनका डेटा नहीं इकट्ठा कर सकतीं।
  2. डेटा उल्लंघन होने पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
  3. नागरिकों को अपना डेटा हटाने या सुधारने का अधिकार मिला है।

हालाँकि, भारत में अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

  • कमजोर बुनियादी ढाँचा: सरकारी और निजी संस्थानों में डेटा एन्क्रिप्शन और साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल्स का अभाव।
  • जागरूकता की कमी: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में डेटा सुरक्षा के प्रति लापरवाही।
  • क्रॉस-बॉर्डर डेटा फ्लो: विदेशी कंपनियों के पास भारतीय नागरिकों का डेटा स्टोर होना।

डेटा सुरक्षा की प्रमुख चुनौतियाँ

  1. सोशल मीडिया का दुरुपयोग: फेक प्रोफाइल्स और स्पैम अकाउंट्स के जरिए व्यक्तिगत डेटा चोरी होना।
  2. IoT उपकरणों की कमजोरियाँ: स्मार्ट घरों और वियरेबल डिवाइस्स में सुरक्षा गैप्स।
  3. डीपफेक टेक्नोलॉजी: AI के माध्यम से नकली वीडियो या ऑडियो बनाकर धोखाधड़ी।
  4. अंडरग्राउंड डार्क वेब: चोरी किए गए डेटा का अवैध बाजार में कारोबार।

CERT-In (भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी) के अनुसार, 2023 में भारत में 13.91 लाख साइबर हमले दर्ज किए गए, जो पिछले साल की तुलना में 24% अधिक हैं।


समाधान: डेटा को सुरक्षित कैसे रखें?

  • उपयोगकर्ता स्तर पर:
    • मजबूत पासवर्ड और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग।
    • अनजान लिंक्स और ईमेल अटैचमेंट्स को न खोलें।
    • सोशल मीडिया पर निजी जानकारी साझा करने से बचें।
  • सरकारी और संस्थागत स्तर पर:
    • साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल्स को अपग्रेड करना।
    • डेटा लोकलाइजेशन (देश के भीतर डेटा स्टोरेज) को बढ़ावा देना।
    • सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाना।
  • तकनीकी समाधान:
    • ब्लॉकचेन और एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का उपयोग।
    • AI-आधारित थ्रेट डिटेक्शन सिस्टम्स।

निष्कर्ष: डेटा सुरक्षा सभी की जिम्मेदारी

डेटा गोपनीयता और सुरक्षा केवल सरकार या कंपनियों की जिम्मेदारी नहीं है—हर नागरिक को सतर्क रहना होगा। भारत ने DPDP एक्ट के साथ एक मजबूत शुरुआत की है, लेकिन इसे लागू करने के लिए तकनीकी बुनियादी ढाँचे, जनता का विश्वास, और सख्त निगरानी की आवश्यकता है। साथ ही, स्कूलों और कॉलेजों में साइबर सुरक्षा शिक्षा को अनिवार्य बनाने से भविष्य की पीढ़ियों को सुरक्षित बनाया जा सकता है। डेटा ही नए युग की ‘डिजिटल गोल्ड’ है, और इसे सुरक्षित रखना हम सभी का कर्तव्य है।

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